हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा नासिर मकरिम शिराज़ी ने अदा और क़ज़ा नमाज़ की नीयत के बारे मे शक होने से संबंधित एक सवाल का जवाब दिया है। हम यहाँ शरई मसाइल में दिलचस्पी रखने वालों के लिए सवाल और उसके जवाब का पाठ प्रस्तुत कर रहे हैं।
* अदा और क़ज़ा नमाज़ की नियत मे शक
सवाल: अस्सलामु अलैकुम, मुझे लगा कि मेरी सुबह की नमाज़ क़ज़ा हो गई है और मैंने क़ज़ा की नीयत से नमाज़ पढ़ी, लेकिन नमाज़ पूरी करने के बाद मुझे एहसास हुआ कि अभी तक मेरी सुबह की नमाज़ क़ज़ा नहीं हुई है। इस मामले में मेरी क्या ज़िम्मेदारी है? इस स्थिति में क्या करना चाहिए? कर्तव्य क्या है?
उत्तर: सलामुन अलैकुम व रहमतुल्लाहे व बरकातोह। आपने जो परिस्थिति बताई है उसके अनुसार नमाज़ दुबारा पढ़ना ज़रूरी है।
ईश्वर आपका समर्थक और सहायक बने।
आयतुल्लाहिल उज़्मा नासिर मकारिम शिराज़ी का कार्यालय
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